Who were sadguru in their previous life:-सद्गुरु सदाफलदेवजी महाराज और प्रथम परम्परा सद्गुरु धर्मचंद्रदेवजी महाराज के पूर्वजन्म में कौन थे?
कई किताबों को पढ़ने पर पता चला कि ये दोनों महान आत्मा पूर्व में भी गुरु-चेला थे। और अंतर में दोनों समाधि के लिए थे। त्रिकालदर्शी सद्गुरु सदाफलदेवजी महाराज जब प्रथगत्यजी को पूर्व की घटनाओं को देखते हुए तब प्रथागतस्यजी अपने मुख से ही उस घटना और स्थान का वर्णन करने लगे।
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प्रथासरण्यजी बतलाए कि अपने गुरु की सेवा में दो व्यक्ति रहे थे वह गुरुभाई कुम्हर का बेटा था अज्ञानतावश आवेश में आकर अपने गुरु पर ही प्रहार कर मुझे बर्दास्त नहीं हुआ लाठी उठाई और जाकर मारने को इस वापसी को जब सद्गुरुदेवजी जाने तो दोनों पर बहुत थे। । बिगड़े और डाँट कर कहा कि- आपे इसी शरीर से मुक्त होना था लेकिन अब आपे फिर से जन्म लेने की इच्छा करेंगे।
कुछ दिन बाद जब स्वामीजी शान्त हुए तो उन्होंने कहा कि गुरु-शिष्य का सम्बन्ध मुक्ति तक रहता है आप चिन्ता न करें आप बहुत तन मन से सेवा की है इस सेवा का फल आपको अवश्य मिलेगा भविष्य में आप मेरे पुत्र के रूप में जन्म लेंगे और उत्तम सेवा करेंगे।
फिर जब वर्तमान आचार्य श्रीस्वतंत्रदेव जी महाराज थोड़ा बड़ा हुआ तो उस स्थान की सत्यता के लिए वहाँ गए। वहाँ जाने के बाद उन्होंने क्या देखा? देखा कि वास्तव में दो व्यक्ति का समाधि है। एक पुजारी सेवक भी है।
पुजारी सेवक से वर्तमान स्वामीजी पूछे जाते हैं कि यह किनकी समाधि है? वह सेवक विश्वासपूर्वक ठीक ठीक जवाब नहीं दे सका। स्वामीजी उस समाधि धाम का दर्शन करके लौट आये। बोलिये सदगुरुदेव भगवान की जय
sadguru sadafal dev ji maharaj Dandakvan Ashram
BHAKT RECEIVING GYAN FROM SAINT SRI VIGYAN DEV JI, MAHARISHI SADAFAL DEV ASHRAM BOKARO